ये सच है...




ये सच है;
बच्चे होते है मन के सच्चे.
पर कभी हम भी तो थे बच्चे.
कहा गई हमारी वो मासूमियत?
जो कभी हमें भगवान का रूप बनातीथी.
ऐसा क्या हो जाता है?
जो छिन जाती है बच्चो की सच्चाई.
क्या कभी किसी ने सोचा है?
कुछ तो ऐसा होता है.
पर वो है क्या चीज़?
कभी किसी ने नहीं सोचा है.
अरे,कोई सोचे भी तो कैसे?
जब सबका यही कहना है;
की "दिल तो अभी बच्चा है".
अगर दिल बड़ो का भी बच्चा है;
तो खुद को नहीं तो उन बच्चो को तोबख्शो;
जिनका दिल वाकई में बच्चा है.
मत छीनो उनका बचपन;
बस ये ही तो उनका अपना है.
कर लेने दो उन्हें भी मजा;
आखिर एक दिन उन्हें भी तो होना है बड़ा.
चन्दन श्रीवास्तव,
B.Tech. (2nd Year)

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